ध्यानेन परमेशानि यद्रूपं समुपस्थितम् । तदेव परमेशानि मन्त्रार्थ विद्धि पार्वती ।। अर्थात् जब साधक सहस्रार चक्र में पहुंचकर ब्रह्मस्वरूप का ध्यान करते-करते जब स्वयं मंत्र स्वरूप या तादात्म्य रूप हो जाता है,उस समय जो गुंजन उसके हृदय-स्थल में होता है, वही मंत्रार्थ है।बीज मंत्रों का उच्चारण आपके आस-पास एक सकारात्मक उर्जा का संचार करता है,चमत्कारी […]
Categories
बीज मंत्रो का रहस्य
